मुझे रू-ब -रू मिलने का है शौक़
शायद इसलिए चैटिंग – वेट्टिंग से बेगाना हूँ
cell पे किटिर-पिटिर मेरी फितरत नहीं
मैं इंसान कुछ पुराना हूँ
आज भी ज़मीं पे गिरी किताब उठाकर
माथे से लगाने की आदत है
आज भी बारिशों में कागज़ के जहाज़ चलाता हूँ
शायद कहीं मैं वही बच्चा पुराना हूँ
हाँ अब नहीं होता ये प्यार-व्यार
उस एक बार के बाद
मै आज भी उसी का दीवाना हूँ
लोग कहते हैं मैं वाकई पुराना हूँ
बहुत लोग बदल गए इस ज़माने के साथ
पर आज भी मैं वो इंसान पुराना हूँ
आज़्मा लेना चाहे जब कभी बुलाकर
कोई ग़ैर नहीं, मैं तेरा यार पुराना हूँ
~@~
Kya baat teddy, Mast ekdum.
Thanks bhai! 🙂
Likhte kamaal ho aap!
“Who am I” update kar lo 😀
Sure, will update it soon.
mast likha hain bhaiya 🙂
wah teddy wah…Dil jeet liya tumne….