दो बूँद ज़िंदगी की

Penning down few short compositions (shayris etc.) :

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जो insane बना दे, उसकी आरज़ू नहीं
जो insaan बना दे, उसकी ज़रूरत है

– 6/6/2016

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हज़ार मजबूरियों के साये में ज़िंदा रहे – तो क्या ?
एक ख्वाहिश के लिए धुप में जल जाएँ – बेहतर है

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जो दिल को सुकून दे, उस आदत को ज़िंदा रखना ज़रूरी है
सिर्फ रोटी कमाने में निकल जाये, वो जीवन नहीं मज़बूरी है

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कुछ यूं टूट के बरसे हैं बादल कसम से –
मानो चुपके से बिजलियों ने ‘भैया’ बुला दिया

😀

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